प्रत्येक वर्ष गुजरात के पूरी शहर में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाता है। puri rath yatra 2025 का आयोजन आज यानी 27 जून 2025 को बड़े ही धूम धाम से निकाली जाएगी। इस मौके पर लाखो के संख्या में श्रद्धालु इक्कठा होते है और तीनो रथो को किहिचने का सौभाग्य प्राप्त करते है। इस लेख में हम जानेंगे कि इन तीन रथों के नाम क्या हैं, उनका निर्माण कैसे होता है और उनके पीछे की गहरी परंपराएं क्या हैं।
रथों के नाम और किसके लिए हैं ये रथ?

पूरी रथ यात्रा में कुल तीन रथ होते है जो तीन देवी देवताओं के होते है जिनके नाम है….
1. नंदीघोष रथ (भगवान जगन्नाथ का रथ)
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रंग: लाल और पीला
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पहियों की संख्या: 16
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ऊंचाई: लगभग 45 फीट
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प्रमुख ध्वज: गरुड़ ध्वज
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सारथी: दरुक
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इस रथ का आकार और सजावट सबसे भव्य होती है क्योंकि भगवान जगन्नाथ यात्रा के मुख्य देवता होते हैं।
2. तालध्वज रथ (भगवान बलभद्र का रथ)
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रंग: नीला और लाल
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पहियों की संख्या: 14
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ऊंचाई: लगभग 44 फीट
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प्रमुख ध्वज: ऊपेंद्र ध्वज
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सारथी: मातली
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यह रथ थोड़ा छोटा होता है और इसके चारों ओर शंख, गदा, कमल की कलात्मक नक्काशी होती है।
3. दर्पदलन रथ (देवी सुभद्रा का रथ)
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रंग: काला और लाल
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पहियों की संख्या: 12
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ऊंचाई: लगभग 43 फीट
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प्रमुख ध्वज: नादम्बिका ध्वज
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सारथी: अर्जुन
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यह रथ महिलाओं की शक्ति का प्रतीक माना जाता है और इसका रंग संयोजन इसे विशिष्ट बनाता है।
रथ निर्माण प्रक्रिया:परंपरा और शुद्धता का प्रतीक

बिलकुल, नीचे वही जानकारी और भी सरल और आसान भाषा में दी गई है, ताकि हर पाठक आसानी से समझ सके
लकड़ी कैसे चुनी जाती है
रथ बनाने के लिए खास किस्म की लकड़ी ली जाती है, जिसे फूलोई और फासी पेड़ों से लाया जाता है। ये पेड़ ओडिशा के कुछ खास जंगलों में पाए जाते हैं और इन्हें सरकार की अनुमति से काटा जाता है।
रथ कहां बनते हैं
पुरी मंदिर के सामने एक जगह है जिसे “रथ खाला” कहा जाता है। यहीं पर हर साल रथ बनाए जाते हैं। यह काम अक्षय तृतीया के दिन शुरू होता है और स्नान पूर्णिमा तक पूरा कर लिया जाता है।
कौन बनाते हैं रथ
रथ बनाने का काम उन कारीगरों के परिवार करते हैं जो पीढ़ियों से यही काम करते आ रहे हैं। इन्हें ‘महाराणा‘ कहा जाता है। हर रथ को बनाने में सैकड़ों लोग मिलकर मेहनत करते हैं।
रथ कैसे जोड़े जाते हैं
रथ को जोड़ने के लिए कील या पेंच (स्क्रू) का इस्तेमाल नहीं होता। इसकी जगह लकड़ी के जोड़ और मजबूत रस्सियों से रथ को जोड़ा जाता है, ताकि वह मजबूत और पारंपरिक बना रहे।
सजावट और अंतिम तैयारियां
रथ निर्माण पूरी होने के बाद स्थानीय महिलाएं और कलाकारों के द्वारा रथो को कपड़ो और धार्मिक चिन्हों से सजाया जाता है। रथ यात्रा के एक दिन पहले एक उत्सव मनाया जाता है जिसका नाम “नेत्र उत्सव” है इस दिन भगवान जगन्नाथ की आँखे बनाया जाता है और फिर रथ यात्रा के दिन उन्हें रथ पर विराजमान किया जाता है।
Disclaimer
इस लेख में दी गई जानकारी विभिन्न समाचार स्रोतों, धार्मिक पुस्तकों और पुरी रथ यात्रा की आधिकारिक जानकारी के आधार पर तैयार की गई है। किसी भी धार्मिक यात्रा से पहले स्थानीय प्राधिकरण या आधिकारिक वेबसाइट से पुष्टि करें।